कल शाम में पता चला की अभी फिर से एक लड़ाई शुरू हो गयी है, मेरे अपने आप की . एक से थोड़ा रहत मिलता है तो दूसरा शुरू हो जाता है. क्यों ना हो! मैंने जो ७ वर्ष आपने जीवन को अपने इमोशन के साथ जिया. जो अच्छा लगा वही किया. दिल से जिया कोई चालाकी नहीं की. जब चालाकी नहीं की तो आगे चल कर लड़ना तो पड़ेगा ही. क्यों की अभी भी चालाकी नहीं सीखी. ऐसा नहीं है कि मेरे आस पास ऐसे लोग नहीं है . रोज एक नये चालाक और एक नई चालाकी से परिचित होती हू , पर ये है की मेरे बुद्धि को समझ ही नहीं आता. अब बड़ी उलझन है अब इस दुनिया में जहा हर चीज सोच समझ के की जाती है, वही मै काम को तो दिमाक से सोचती हू पर करती बड़े दिल से हू. अब यही शायद गड़बर हो जाती है क्यों की दिमाक वाले लोगो को दिल की समझ तो होगी नहीं, क्यों की दिल की चीज प्यार भी दिमाक से ही वो करते है, तो सारा का सारा अगर गुड़-गोबर नहीं होगा तो क्या होगा. मै आपना माथा नहीं फोदुंगी तो क्या करुँगी. अब जब मै ही जो इमोशन की दुहाई देने वाली कहू...
सुबह उठते ही अपने पसंद के काच के ग्लास में अदरख वाली चाय मिल जाये ... और उसे भजन के साथ चुस्की ले कर पी जाये , फिर पेड़ो को पानी दे सूरज के साथ आख मिचौली न कर लो तब तक न सासों में ताजगी ना पुरे दिन के लिए जीवन रस. बड़ा नीरस सा लगता है दिन जैसे सुखी काठ जिसमे कोई रस ही नहीं और रस नहीं तो स्वाद कैसा ? इधर बीच इसकी महत्ता का पता चला! पता क्या चला मै कहने-सुनने में वो भी जिंदगी के रस के मामले में ज्यादा विश्वास नहीं करती जब तक मै खुद ना अनुभूत कर लू. आप कह सकते हो ये मेरे में बहुत बड़ा लोचा है! पर क्या कर सकते है! कुछ भी नहीं! मै खुद लाचार हू.. क्यों की कई बार सुधरवादी आन्दोलन में मुझे भी मेरे अपनों ने सुधारने की बड़ी कोशिश की पर असफल हो जाते है..! पर एक बड़े राज की बात बताती हू इसमें अपना ही मजा है - सोमरस जैसा ! हमेशा ताजा तरीन बने रहने का एहसास... नए स्वाद का एहसास..! आपके रस स्वाद का विस्तार होता है ! जब आप अपन...
दिल को सहारा चाहिए मन को किनारा!! दिल सहारे में डूब मुस्कराता है मन किनारे के लिए जाल बिछाता है! दिल की दुनिया अपनी होती है मन की तो ठोक-ठाक के बसाई जाती है ! दिल जानता भी नहीं क्या अच्छा है क्या बुरा मन हर बार तौलता है क्या और कितना भला ! दिल का तार धरकन से जुड़ा मन तो मस्तिस्क के उलझन में पड़ा ! दिल में खोये तो........ आप किसी के और आपका कोई हो गया मन में खोये तो औरो का क्या.... आप ही अपने ना हुए ! दिल जब भी धड़का तो दुआए निकली है .. जो अक्सर दूसरो से ही जुड़ी है मन जब भी दौड़ा तो तमन्नाये निकलती है ..... जो अक्सर अपने सुख से जुड़ी होती है ! दिल का सब गवा ...उफ़ ना किया मन का गया तो उसमे घाव बन गया ! हे प्रिये मैंने तुझे दिल से और तुने मुझे मन से जोड़ा इसलिए तू मुझसे दूर हो कर भी है मुझ में ही छुपा ! और मेरे दिल के तरानों...
वाह क्या बात है इतने अच्छे विचार और शब्द कहा से लाती है | आप को भी दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाये |
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