नई सुबह
कल शाम में पता चला की अभी फिर से एक लड़ाई शुरू हो गयी है, मेरे अपने आप की . एक से थोड़ा रहत मिलता है तो दूसरा शुरू हो जाता है. क्यों ना हो! मैंने जो ७ वर्ष आपने जीवन को अपने इमोशन के साथ जिया. जो अच्छा लगा वही किया. दिल से जिया कोई चालाकी नहीं की. जब चालाकी नहीं की तो आगे चल कर लड़ना तो पड़ेगा ही. क्यों की अभी भी चालाकी नहीं सीखी. ऐसा नहीं है कि मेरे आस पास ऐसे लोग नहीं है . रोज एक नये चालाक और एक नई चालाकी से परिचित होती हू , पर ये है की मेरे बुद्धि को समझ ही नहीं आता. अब बड़ी उलझन है अब इस दुनिया में जहा हर चीज सोच समझ के की जाती है, वही मै काम को तो दिमाक से सोचती हू पर करती बड़े दिल से हू. अब यही शायद गड़बर हो जाती है क्यों की दिमाक वाले लोगो को दिल की समझ तो होगी नहीं, क्यों की दिल की चीज प्यार भी दिमाक से ही वो करते है, तो सारा का सारा अगर गुड़-गोबर नहीं होगा तो क्या होगा. मै आपना माथा नहीं फोदुंगी तो क्या करुँगी. अब जब मै ही जो इमोशन की दुहाई देने वाली कहू...
pyar k liye char pal kam nahi the
जवाब देंहटाएंkabhi tum nahi the kabhi hum nahi the
विनिता जी नमस्कार! लाजबाव पोस्ट लिखी हैँ आपने। बधाई! -: VISIT MY BLOG :- गमोँ की झलक से जो डर जाते हैँ।..........गजल को पढ़कर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ। आप इस लिँक पर क्लिक कर सकती हैँ।
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