"चुस्की ले तो मनवा फेंटास्टिक हो जाये "
सुबह उठते ही अपने पसंद के काच के ग्लास में अदरख वाली चाय मिल जाये ... और उसे भजन के साथ चुस्की ले कर पी जाये , फिर पेड़ो को पानी दे सूरज के साथ आख मिचौली न कर लो तब तक न सासों में ताजगी ना पुरे दिन के लिए जीवन रस. बड़ा नीरस सा लगता है दिन जैसे सुखी काठ जिसमे कोई रस ही नहीं और रस नहीं तो स्वाद कैसा ? इधर बीच इसकी महत्ता का पता चला! पता क्या चला मै कहने-सुनने में वो भी जिंदगी के रस के मामले में ज्यादा विश्वास नहीं करती जब तक मै खुद ना अनुभूत कर लू. आप कह सकते हो ये मेरे में बहुत बड़ा लोचा है! पर क्या कर सकते है! कुछ भी नहीं! मै खुद लाचार हू.. क्यों की कई बार सुधरवादी आन्दोलन में मुझे भी मेरे अपनों ने सुधारने की बड़ी कोशिश की पर असफल हो जाते है..! पर एक बड़े राज की बात बताती हू इसमें अपना ही मजा है - सोमरस जैसा ! हमेशा ताजा तरीन बने रहने का एहसास... नए स्वाद का एहसास..! आपके रस स्वाद का विस्तार होता है ! जब आप अपन...
pyar k liye char pal kam nahi the
जवाब देंहटाएंkabhi tum nahi the kabhi hum nahi the
विनिता जी नमस्कार! लाजबाव पोस्ट लिखी हैँ आपने। बधाई! -: VISIT MY BLOG :- गमोँ की झलक से जो डर जाते हैँ।..........गजल को पढ़कर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ। आप इस लिँक पर क्लिक कर सकती हैँ।
जवाब देंहटाएं