ग्राम पंचायत- मुर्गा-दारू पार्टी -यही तो है स्वराज!!!!!!!

आज सुबह-सुबह मेरी माँ का फोन आया कि वो नहीं लड़ेंगी ग्राम-प्रधान  का  चुनाव !! मुझे अच्छा नहीं लगा मेरी माँ का इस तरह लड़ाई  के पहले ही अपने  सपनो को ख़त्म करना ! मेरे पिता जी सरकारी नौकरी से  सेवानिवृत हो कर गाँव में रहना पसंद किये और वहा के लिए दोनों ने यथासंभव कार्य करना पसंद किये! पर मेरी सोच  "रंग दे बसंती" से प्रभवित है! अगर अच्छा चाहते हो तो पॉवर में आवों! चाहे वो ब्यवस्था की पहली कड़ी ही क्यों ना हो ! क्यों की सोच सभी रखते है और अपनी सोच को ट्रेन में, बस में,  चौपाल में,  अपने खाली समय में, दूसरो के सामने अच्छा बनने में अक्सर जाहिर करते रहते है! इससे कुछ नहीं होने वाला !
पर क्या करे मेरी माँ सारा जीवन दूसरो के लिए जीकर भी ग्राम प्रधान के लिए नहीं लड़ना चाहती!  वो गाँव   में फैले बीमारी -  मुर्गे और दारू की पार्टी में शामिल नहीं होना चाहती ! सुबह शाम के बीड़ी पार्टी उसे पसंद नहीं!
कितना भी प्रचार कर लो विकास का! जागरूक  कर लो आगे के कार्य के लिए, पर चार दिन के झूठी खुशामदी में  लोग शौक से अपने ग्राम का ५ वर्ष दे देते है! 
आपको पूरा माजरा सुनती हू... आज के  ग्राम पंचायत के चुनाव की !
उत्तर  प्रदेश के गावो  में  फिर से छिड़ी  है जंग, ग्राम पंचायत के चुनाव को लेकर! 
जंग इसलिए नहीं छिड़ी है कि उनमे कोई जोश है अपने जमी के लिए कुछ कर गुजरने   की !
जंग छिड़ी है  ५ वर्ष में अच्छा खासा बैठे बिठाये कुछ कमा लेने के लिए! गांघी  जी ने ग्राम पंचायत इसलिए बनाया की भारत का कोना कोना अपनी प्रकृति के अनुरूप विकास करे और स्वावलंबी हो! पर हालत ये है की जैसे-जैसे ग्राम पंचायत के अधिकार और पैसे बढते जा रहे है, वैसे वैसे कुकुर जंग भी बढती जा रही है!
अब हमारे ग्राम की ही बात लीजिये, जिस पुत्र के पास पिता के दावा के लिए पैसे नहीं थे , आज अपने आप को ग्राम प्रधान बनाने के लिए मुर्गे और दारू की पार्टी के लिए ना जाने कहा से पैसे आगये! एक दुसरे भावी ग्राम प्रधान ने  एलान किया कि ये तो आपको बिगाड़ रहे है, हमे आपके स्वस्थ्य का ख्याल है इसलिए हम आपको १kg  मिठाई और साड़ी  देंगे!! अब भाई साहब क्यों ना एलान करे चुनाव जीत जाते है तो ना जाने कितने मिठाई और साड़ी का चूना   गाँव को अपने आप लगा देंगे! और ये नरेगा की योजना ने तो वैसे  भी पिछले  ग्राम प्रधना को मालामाल कर दिया था और ये सभी को दिख भी रहा है ! तभी इस बार वो  ५०० के हरे नोट भी बिखेर रहा  है !  ये तो रही   वोट पाने के लिए की जाने वाली  तैयारी की!
अब इसमें मेरी माँ पीछे हट जाये तो मुझे ज्यदा अफ़सोस नहीं करना चाहिए!
एक मजेदार घटना और घटी हमारे गाँव में, हमारा  गाँव महिला ग्राम प्रधान  के लिए आरक्षित कर दिया गया!
लो ये क्या हो गया ?
नहीं नहीं ज्यादा कुछ नहीं बदला क्यों कि अब भाई साहब की जगह उनकी धर्मपत्नी का भी नाम  जुड़ गया ! पति तो पहले थे ही ग्राम प्रधान  के दौड़   में अब पति के साथ पत्नी का नाम भी जुड़ गया ! क्यों कि भावी  ग्राम प्रधान  कौन- कौन है पूछे जाने पर उन्ही महापुरुषो  का नाम लोगो ने बताया जिनका सामान्य होने पर सुना था, तो मै थोडा  चकित हुई ऐसा कैसे ?
 फिर अपने  उलझन को सुलझाने के लिए पूछा कि अरे वहा तो महिला ही मात्र खड़ी हो सकती है फिर ये पुरुष  क्यों? तो बताने वाले ने बड़े सहजता से बताया- अरे इसमें का है उनकी मेहरारू क नाम बस भर जाई  पर्ची में !
चलो अच्छा हुआ इसी बहाने धर्मपत्नी के भी भाग्य खुले! इतने सालो से किसी ने ना उसे देखा था, ना ही उसका नाम ही जाना था, उसे जाना  तो बस फलाने बो ही जाना! अब इसी बहाने कुछ लोग उसका नाम तो जानेंगे ! और थोड़ा घर की चार दिवारी से निकल  गाँव  का हवा- पानी लेने का  भी मौका मिलेगा !  अपनी खूबसूरती का थोड़ा  बहुत प्रशंसा भी मिल जाएगा और उसे चाहिए भी क्या ?
उसको कौन सा काम-वाम करना है वो तो सरकार की मज़बूरी है इसलिए उसको अपने पति की जगह पर्ची में नाम भरना पड़ेगा! नहीं तो  कैसे गिनती  होगी  कि भारत में इतनी  महिला ग्राम प्रधान है ?
और वो जीत गयी तो पति महोदय को भी अपनी बात मनवाने को मजबूर कर लिया करेगी,  चेक पर साईन   ना करने की धमकी देकर! हा यही तो बस उसका काम रहेगा !
मजा ही मजा ! ई  सरकार भी औरतो का कितना ख्याल रखती है ! !
उसको पता  है की उसकी  क्या  समस्या  है ? तभी  तो महिला प्रधान का आरक्षण दे कर कौनो जोर जबरजस्ती नहीं है की उसको ही आगे आकर काम भी करना है . पूरा ५ साल पति को काम भी मिल  गया उपर से उसका भी शान और औरतो से ज्यदा हो जायेगा . और ई भी तो जरुरी नहीं है कि सरकारी  ऑफिस  में उसको ही जाना है! और जाना भी होगा तो क्या?  पति महोदय तो रहंगे ही. मोटर साईकिल  पर बैठ   के पहुच  जाएगी   ! अरे नहीं नहीं मोटर साईकिल पर क्यों !  अब तो चार पहिया आयेगा  ! हा अब त इज्जत  का भी सवाल रहेगा  ना !
गाँव में तो ऐसे  भी लोग पति महोदय को ही ग्राम प्रधान बुलावेंगे !
अच्छा है अब एक  जगह दो -दो  ग्राम प्रधान ! एक  के साथ एक मुफ्त!
और काम का पूछना  है,  वो तो उंगली  पर गिना  हुआ है !
पिछला  ग्राम प्रधान के घोटाले  के बारे  में लोग चर्चा करते  थे,  वो तो रहेगा ही और कुछ और घोटाले  के लिए अधिकार मिलने वाला है. जी खुश हो जायेगा ! पति कुछ काम-वाम नहीं कर पाए प्रभु, बस ई चुनाव  में जीत जाये तो सब  दिल की इच्छा पूरी हो जाएगी  !
एक  बात तो बराबर  है उ राजधानी में भी  कौनो खेल  का घोटाला क चर्चा बड़ी जोर पकड़त है . रोज टी. वी में भी आता है ! फिर तो हमारे ग्राम  प्रधानी में भी हमेशा कुछ ना कुछ घोटाला का चर्चा रहत ही है, फिर त हम दोनों बराबर ही हुए  ! काम एक ही सा तो करत है उ थोरा करोड़ में करत है उम लाख में करेंगे!! सब  बराबर है !!!!
कौनो अंतर  नाही!!!!!!!
यही तो स्वराज है!
सरकार बड़ा  ही कारसाज है !!!!!!
जय हो  सरकारी व्यवस्था की जो अपने साथ हमरे लिए भी जीवन  को चलाने की अच्छी व्यवस्था करती रहती है !
जय हो जय हो !!!!!!!!!!

टिप्पणियाँ

  1. बिल्कुल सही कहा स्वराज के नाम पर महिला आरक्षण के नाम पर यही हो रहा है |

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  2. बिल्कुल सही कहा,
    बेहतरीन प्रस्तुति.

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  3. सही सटीक और सत्य

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  4. bilkul sach baat hai ..lekin iska koi solution bhi dhoondhna hoga ..

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  5. एक अच्छी और सार्थक पोस्ट के लिए आपको बधाई !

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  6. ये कैसा अत्याचार हैं| चुनाव आदमी और औरत का होता हैं और बचारे चूजे अनाथ हो जाते हैं|
    और गेम का गेम कोई खेले लेकिन अंत मे दोष भगवान बे दाल दिया जाता हैं|
    और उस देश कि महिलाओ कि क्या कहे दशा जंहा उन्हें आगे लाने के लिए उन्हें धक्का देना होता हैं|

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  7. बहुत ही शानदार पोस्ट....ऐसा लगने लगा है जैसे इस देश में सुधार की गुंजाईश ही खत्म हो गयी है ......जड़ तक गंदगी .........दुसरो को कहने से कुछ नहीं होने वाला .....जब तक आम आदमी की सोच नहीं बदलती ..........कानून सख्त नहीं बनाये जाते.....आपने एक बहुत तीखा व्यंग्य लिखा है ........उच्च कोटि का ....मेरी शुभकामनाएं...

    कभी फुर्सत मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आइयेगा :-

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  8. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  9. बहुत सही लिखा है आपने , सच बयां कर दी इस पोस्ट के माध्यम से , हाँ हमारे यहां तो स्वराज का मतलब यही है ।

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  10. दुखद है यह ,और इसका कारण है किसी भी गांव में ग्राम सभा का गठन नहीं होना और उसकी प्रति माह सभा नहीं होना ,जिसके वजह से असल निर्णय लेने वाली ग्राम सभा के जगह उसकी कार्यकारणी मनमाने ढंग से पैसे को उपयोग कर लूटती है और गांव का हाल बदहाल का बदहाल ही रहता है | सभी गांव में ग्राम सभा का गठन और उसकी प्रति माह सभा होना बहुत जरूरी है और इसके लिए जागरूक नागरिकों को आगे आने की जरूरत है ,इस दिशा में अगर कोई सहयोग और सहायता चाहिए तो हमें जरूर फोन करें ...

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  11. सुंदर अभिव्यक्ति. आपके ब्लाग पर आकर अच्छा लगा.. चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है... हिंदी ब्लागिंग को आप नई ऊंचाई तक पहुंचाएं, यही कामना है....
    इंटरनेट के जरिए अतिरिक्त आमदनी के लिए यहां पधारें - http://gharkibaaten.blogspot.com

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  12. hallo,
    hindi mein type karna nahin aata, uske liye maafi!!
    Panchayat Raj ek achi vyavastha hai or yeh tabhi kargar hogi jab log khud iski jimmedari apne hathon mein lenge. NAREGA iski keval ek suruwat hai, madical, education and agriculture abhi panchayat raj mein aane wale hai.
    jarurat hai keval logon ko samjhayish karne kee or apni jimmedari samjhne kee. yahi swaraj kaa sahi matlab hoga.
    Gopal
    Jaipur

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  13. gopal jee hume pat ahi ki aap me bhi kuchh aag hai apne gram ke liye! per hakikat to ye hai hi!!!!

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