इमोशन के साथ एक पल

आप कैसे कह सकते कि आप इमोशन के बिना ही जीना पसंद करते है। आप अपने जीवन के किन्ही उलझनों के कारन अपने आप को इमोशनल न होने पर जोर देकर मात्र अपने आप को संतुष्ट करते है। क्यों कि आपके जीवन का प्रतिपल भाव से ही खुबसूरत बनता है और आपके जाने- अन्जाने वही आपको अच्छा भी लगता है। क्यों नह लगता ??
आप खुश होकर ईश्वर के बाद आपने आप को देखते है, नई सुबह - नई दिन के लिए। अपने आप को सबसे खुबसूरत होने के एहसास तक सवारते है। आप की सुबह कि चाय मात्र दिनचर्या नहीं होती आप उसे बड़े एहसास के साथ पीते है । कोई सोफे पर पैर पसार कर, कोई अपने प्यार के हाथो अलसाईआँखों से बिस्तर में , या फिर कोई टहलते हुए बाल्कनी से चिड़ियों कि चहचाहट और सूरज के फैलते रोशनी को चाय की चुस्कियो के साथ गल्प करते हुए। अगर दिन कि प्रथम चर्या में इमोशन के रंग को घोल देंने पर पल इतना खुबसूरत बन जाता है तो फिर दिन के हर पल में, हर कर्म में घोल दिया जाये तो दिन कितना सुहना और जीवन कितना रंगीन हो जायेगा। एक बार इसे सिर्फ एहसास ही ना करिए बल्कि इसे जी कर जिजिये, आपका हर पल सिख - नख तक पुलकित व आनंद से झंकृत होता रहेगा।
नोट - आपके इमोशन का कोई दुरपयोग करे, उसे उसके इस अवसरवादिता के सच से जरुर सामना कराये, और अपने आप पर इमोशनल अत्याचार होने से रोकने में सहयोग दे।

टिप्पणियाँ

  1. कृपिया अपने इमोशन पर थोडा कंट्रोल करे आप के मर्ज की दवा आम आदमी के पास नहीं है इसका इलाज तो भगवान ही कर सकते है पर आप चिंता न करे कृष्ण नामका डाक्टर ने गीता नामक पुस्तक में आप का इलाज लिखा हुआ है उसमे इमोसन (मोह माया ममता ) के बारे में काफी कुछ लिखा है उसका वाचन रोज सुबह शाम करे आप को अवश्य ही आराम मिलेगा

    जवाब देंहटाएं
  2. imoshan maya nahi hai ye ek bhav jo aapko dusro ke sath jodata hai, maya aapko swarthi banati hai aur aapko dusro se alag karti hai.

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

“मनोविकारक युग”

ये ज़िन्दगी गले लगा जा ......

"चुस्की ले तो मनवा फेंटास्टिक हो जाये "