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जून, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सपने अभी काफी है............./

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आज कुछ ऐसा हुआ, जैसे किसी ने मेरे अंतर्मन  को छुआ, आई एक ठंडी बयार, मन को दे गयी खुमार. कल्पना की ऊँची  उड़ान, छूने लगी क्षितिज आसमान. मन को लगा मंजिल यही है, जिंदगी  की खुशिया  यही से जुडी है. सारे सपने उसी के आने लगे, अंतर्मन  के तरंगो पर छाने लगे. हवाओ  में  उसी की खुशबू है, खिली-खिली धूप पर भी उसी का जादू है. ऊफ ये कैसी तूफान, जिसमे सब  ख़त्म करने की उफान. नहीं ये तो  एक मंजर है,  जो देता अपना होने का वहम है. कहा यहाँ अपना है कोई, जिसकी तलाश में पूरी रात ना सोई. सफ़र तो अभी बाकी है, सपने  अभी काफी है............./

मिडिया वाले उसमे रोमांच भरे या ना भरे!!! सईना नेहवाल की जीत भारत की जीत है!!!

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सईना नेहवाल ने जो जीत का इतिहास रचा उस पर मिडिया वालो को शायद खबर बनाना नहीं आ रहा. वो शायद इसलिए क्यों कि सईना में प्रतिभा ही प्रतिभा  है, ग्लैमर  तो है नहीं! और मिडिया या तो ग्लैमर  की भूखी है या फिर चटकारो  के लिए बैठी है. उनके लिए  क्रिकेट टी. आर . पी. के लिए धंधा है इसलिए एक मैच  में हार जाये तो और जीत जाये तो सारे चैनल उनके सर पर ताज पहनाने के लिए या उतारने के लिए बड़े जोश के साथ बैठे रहते है. वो भी सारे सारे दिन और कई दिन !!!!!!! हम देखना चाहे या ना चाहे पर मिडिया बेचारी क्या करे अब सब  बात टी. आर . पी. के दौड़ का है . सानिया मिर्जा अगर एक मैच जीत जाती है तो वाह-वही ही वाहवाही, उनकी खबरों में सुर्खिया ही सुर्खिया होती है , हार गयी तो खबर आयी गयी हो जाती है! सईना नेहवाल के पास सच्ची और लगन से भरपूर प्रतिभा है पर ग्लैमर  नहीं है इसलिए मिडिया को ये  सुर्खिया बटोरने  या फिर खबरों को जोरदार बनाने जैसा चमकदार नहीं लगता.  इसलिए वहा भी  सईना के जीत के जश्न से ज्यादा  विवेका के मातम की खबरे  भरी थी. अब  वहा भी ग्लैमर की बात थी ! जबकि सईना नेहवाल की  जीत पूरे भारत के लिए शानदार है.

सामुदायिकता मानवीयता से कभी भी बड़ी नहीं होती (Honor killing)

        आज हर न्यूज़ चैनल पर  Honor killing के खबर को किस्सों की तरह परोसा जा रहा है. समस्या गंभीर - मिडिया के लिए खबर. इन खबरों का परिणाम क्या? शायद कुछ दिनों में दूसरी Honor killing  की खबर सुनने को मल जाये. और  सभी राजनितिक पार्टिया चुप. शिला दीक्षित को कहते सुना की आज के समय में ऐसी घटनाओ  का होना आश्चर्य है. अब आप भी क्या करे आप को तो भारत का विकास दिल्ली  के मेट्रो के विकास की तरह नजर आता है. आप महानगर  में रहती है आपको भारत के गावो और समुदायों की सामाजिक समस्या से कहा सरोकार होगा? आपके नजर में महानगरो के  इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास से सारे भारत का विकास हो गया. आपको कहा पता होगा की इस  विकास की आंधी में सामाजिक विकास की धज्जिय उड़ रही है !! आप अमेरिका से बिसनेस करने के लिए तो आप बड़ी से बड़ी इमारत बनाने को तैयार है पर आप को कहा पता होता है आपके आपनो का क्या हाल हो रहा है ! युवा समाज को इन्फ्रास्ट्रक्चर की सुबिधा आपने दे दी, पर उनको  अपने आप  को जीने के लिए सुबिधा दी ? भारत की सरकार धर्म - जाती और अन्य सामाजिक संस्थाओ में हस्तक्षेप करने में हमेशा बचाती रही है! इसका दो कारण समझ में

नारी जीवन

नारी इस जग में सबसे महान होती है, वो नदियों में गंगा सामान होती है. छोटी सी, चंचल सी खेलती है, पिता के घर हिमालय की गोदी में. दुनिया संसार के मोह से दूर, चंचल- अठखेलियो से पूर्ण. धीरे- धीरे वो बड़ी होती है किनारे पे आकर पृथ्वी को देखती है. सुनहरे ख्वाब सी मन में तरंग उठती है. वो दुनिया कितनी खुबसूरत है, वहा कोई प्यारा सा मूरत है. नई जोश आती है, कुछ होश जाती है. एक इच्छा, होगा कैसा   वो जहा, काश मै होती वहा. छोटी सी, नन्ही सी हो जाती है कुछ तरुण. और करती है  पृथ्वी का वरण. सुब कुछ नया सा, मन भी जावा सा. पत्थरो को तोड़ते  हुए, जमी को फोड़ते हुए. उमंग तरंग से, तुरंग प्रवाह में, चलती  नहीं  किसी के प्रभाव में. धरे - धीरे वो आगे बढने  लगी, स्वरुप में गंभीरता छाने लगी. क्षेत्र कुछ बिस्तृत होगया, लोगो का उससे उद्द्येश्य हो गया. सारी चंचलता गंभीर हो गयी, दूसरो के लिए जीना नियति बन गयी. कर्तब्य निभाते हुए, खुशिया देते हुए. इस दुनिया को जान गयी सुब कुछ पहचान गयी. ये पृथ्वी दूर से कितनी सुनहरी है, पर ये अनचाहे कर्तब्यो की दुपहरी है. अब बस एक ही  है आशा, महासागर म