सावन की महक

बदली आई
रिमझिम के संग ,
मेघ गरजे
बिजली के संग ,
आम की डारी झूमे
बौरो के संग ,
गेहू की बाली झूमे
हरियाली के संग ,
बरखा आयी है
प्रियतम के संग,
प्रिय गए थे परदेश
चुनरी आयी है उनके संग../

टिप्पणियाँ

  1. aapki rachna bahut achhi hai...kash! yaha patna mein bhi sawan dikhta...yaha abhitak log aakash taak rahe hai....Khair vinita ji! very nice blog

    bahut achha laga yaha aakar

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