तेरी प्रभुताई तो तभी जचती है जब तू भी मुझे अपने दिल में रखता !!!!!

कल कबीर को सुन रही थी याद आया गुजरा जमाना कि कैसे ये मेरे में उतर गए और मुझमे ही मिल गए !


कबीर तुलसी और सूरदास इन तीनो को बचपन से पढती आरही थी पर इनको १०वी कक्षा से समझना शुरू किया था और ग्रेजुएट होते होते इनमे रमने लगी थी !

कबीर तो मेरे जीवन के मार्ग दर्शक बन गए. कितनी अजीब बात है बिना आडम्बर के महाराज और महिमामंडित गुरु देव की पाखंड से दूर बिना गुरु दक्षिणा  लिये ...लाग-लपट रहित, छल-छ्दम से परे जीवन का रस  दे गये!

तुलसीदास जी मुझे थोड़ा कम  ही रमते, पहले भी आज भी ! इसलिए नहीं की उनकी महत्ता कम है!

कबीर की दोहावली और सूर के पद इक्के - दुक्के घरो में ही मिलेंगे पर ' राम चरित मानस' तुलसी दास जी की रचना घर घर में मिलेगी ! मेरे पास भी है ! उसके कुछ दोहे गाने मुझे भी पसंद है !

पर यहाँ बात महनता की नहीं है बात यहाँ भाव की है!
तुलसीदास जी ने दास भाव से अपनी भक्ति को रखा है और इसलिए मुझे वो भाव जचता ही नहीं और रमने की बात में सूरदास जी बाजी मार गए ! क्यों की सूर की भक्ति भाव सखा है!

कैसा छोटे बड़े का भेद ?
तुम भगवान तो मै भक्त ! भक्त के बिना भागवान कैसा ?

अधिकार भाव ! कैसे नहीं मानोगे !

तुम सुन सकते हो तो सुनो नहीं तो मै चली !

मेरी बदनामी नहीं होगी पर तेरे लघुताई की हंसी जरुर होगी !

तेरे पीठ पीछे तेरे लघुताई के वैसे भी खूब चर्चे है और लोग चठ्कारे ले कर स्वाद लेते है !!!

मुझे क्या है मै तो भक्त हू कही भी भजन  कर  लूंगी ! कही भी रम गयी !

तुह्मी यशोदा माँ को नहीं कह सकते मै भी तुह्मे कह सकती हू " यह लो अपनी लकुटी कमरिया बहुत ही नाच नचायो" !

तुझे भोग लगाने वाले हजारो है पर तुह्मे भी पता है कि हजारो में मै ही एक मात्र हू जिसके दिल में तू रहता है, बिना किसी भय के !

हजारो तो तुझे प्रभु मान तेरे प्रभुताई से डरते है और तू ही बता  कही भय से भी प्रीति होती है !

ना बाबा ना ये तो मेरे से नहीं होगा ! ये मेरे लिए मुश्किल ही नहीं असम्भव है !

देख लो तुह्मे अगर बिना भेद-भाव के प्रीति अच्छी लगती है तो बोलो नहीं तो मै चली !

मुझे क्या तुम तो मेरे दिल में बंद हो जहा चाहूंगी-जब चाहूंगी तुममे रम लूँगी !

मेरे जाने के बाद तुह्मी तड़पोगे.. पछ्तावोगे !

पर कहा ये भी होगा तुमसे, तुमने मुझे अपने दिल में थोड़े ही  रखा है !!!!

तेरी प्रभुताई तो तभी जचती है जब तू भी मुझे अपने दिल में रखता !!!!!





टिप्पणियाँ

  1. तेरी प्रभुताई तो तभी जचती है जब तू भी मुझे अपने दिल में रखता !!!!!.. सही बात है .. जहा तक मेरा मानना है की दुनिया में कोई भगवान् नहीं है .. वो सब जिसे हम भगवान् कहते है वो सभी अपने समय के अच्छे इंसान थे और उन्होंने अच्छे कर्म किये थे अपने समय के हिसाब से ..इसलिए वो आज भगवान् है !!!! जैसे भगवान् बुद्ध...!!!!...आत्मविश्वास की कमी ही अंधविश्वास का जनक है !!!!.....

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  2. कुंदन जी मै ईश्वर के एक होने ना होने की बात नहीं कर रही !!!
    मै तो अपने भाव की बात कर रही हू !
    वो है ये मेरा बिश्वास है और वो हर पल है ये भी आभास है !
    मै तो उसके प्रति भक्ति भाव की बात कर रही हू उसके ही प्रति क्यों सभी के प्रति !
    मुझे सखा भाव रमता है जिसमे मै बराबर की लड़ाई कर सकू !!!!!

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  3. isme bhav to bahut sidha saa hai. panditon ki bhasha hai. dhai aksar wali pandit. end hamesha ki tarah bahut acha hai..clasical hai.
    regards

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  4. प्रेम करू मै सखा के संग
    ना करू मै द्वन्द प्रेम बिन
    मेरे सखा मेरे शुभचिन्तक
    मै सखा बिन निष्प्राण

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  5. शकुन्तला प्रेस कार्यालय के बाहर लगा एक फ्लेक्स बोर्ड देखे.......http://shakuntalapress.blogspot.com/2011/03/blog-post_14.html क्यों मैं "सिरफिरा" था, "सिरफिरा" हूँ और "सिरफिरा" रहूँगा! देखे.......... http://sach-ka-saamana.blogspot.com/2011/03/blog-post_14.html

    आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-अगर आपको समय मिले तो कृपया करके मेरे (http://sirfiraa.blogspot.com , http://rksirfiraa.blogspot.com , http://shakuntalapress.blogspot.com , http://mubarakbad.blogspot.com , http://aapkomubarakho.blogspot.com , http://aap-ki-shayari.blogspot.com , http://sachchadost.blogspot.com, http://sach-ka-saamana.blogspot.com , http://corruption-fighters.blogspot.com ) ब्लोगों का भी अवलोकन करें और अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे.हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं # निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन:9868262751, 9910350461

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  6. दोस्तों! अच्छा मत मानो कल होली है.आप सभी पाठकों/ब्लागरों को रंगों की फुहार, रंगों का त्यौहार ! भाईचारे का प्रतीक होली की शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन परिवार की ओर से हार्दिक शुभमानाओं के साथ ही बहुत-बहुत बधाई!



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