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जुलाई, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सावन की महक

बदली आई रिमझिम के संग , मेघ गरजे बिजली के संग , आम की डारी झूमे बौरो के संग , गेहू की बाली झूमे हरियाली के संग , बरखा आयी है प्रियतम के संग, प्रिय गए थे परदेश चुनरी आयी है उनके संग../