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इन्सान का खेल

जीवन  शतरंज का खेल समाज चौपाया गोटिया इन्सान ऊँचे से नीचे तक गोरे से काले तक खेल कुछ अच्छा कभी कभी लगता बुरा . काला  गोरे को मरता है गोरा काले को! इसमे कुछ नियम है. पालन नियति नहीं नियम है, इन्सान है कुछ हैवान इन्सान इन्सान को मरता है, ना कोई गोरा देखता है ना कला ना कोई बंधन है ना मुहब्बत, ना कोई नियम , ना कही मानवता बाते है परमार्थ की, पर है तो सिर्फ स्वार्थ. डॉ  विनीता सिंह वी. एस. टी . फाउन्डेशन